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कैथल:प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को पारम्परिक फसल चक्र से बागवानी की ओर आकर्षित करने के लिए अनेक प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। किसानों को जैविक खेती को बढावा देने के लिए प्रेरित करने तथा पर्यावरण हितैषी मॉडल विकसित करने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना लागू की गई है।
उपायुक्त श्री संजय जून ने बताया कि सरकार द्वारा कपास, तिलहनों, दालों, मक्का, औषधीय पौधोंं, फूलों तथा बागवानी फसलों जैसी नकदी फसलों की ओर किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए फसल विविधिकरण कार्यक्रम शुरु ेिकया गया है। इसके तहत किसानों को इन फसलों के उन्नत बीज अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। करनाल जिला के घरोंडा स्थित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र से हाईब्रिड सब्जी की पनीरी खरीदने पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। सोनीपत के गन्नोर स्थित अंतर्राष्ट्रीय फल एवं सब्जी मंडी के विकास के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। पर्यावरण एवं मृदा स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित करने हेतू जैव उर्वकों पर लागू 5 प्रतिशत वैट को हटाया गया है। किसानों को प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्याज के बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला सरकार ने किया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में किसानों को एक लाख 54 हजार 664 सॉयल हैल्थ कार्ड निशुल्क वितरित किए गए हैं। इन कार्डों की सहायता से किसानों को उनकी भूमि में मौजूद आवश्यक तत्वों की जानकारी होने के साथ-साथ किसानों को यह भी पता चल पाएगा कि उनकी जमीन को कौन-कौन से आवश्यक तत्वों की आवश्कता है। वैज्ञानिकों द्वारा भूमि की मिट्टी की जांच के बाद की गई सिफारिशों के अनुसार फसलों में आवश्यक खाद की मात्रा डालने से एक तरफ जहां किसानों को आर्थिक बचत होगी वहीं दूसरी तरफ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी, जिससे लंबे समय तक हम अच्छा उत्पादन ले पाएंगे। इससे हमारे खाद्यान भी हमारे स्वास्थ्य के अनुकूल होंगे। किसानों द्वारा घटती जोत के कारण ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेने की होड़ में रासायनिक खादों तथा दवाइयों का अंधाधुंध प्रयोग करने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है, वहीं खाद्यान भी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

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