सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बिजवासन से विधायक कर्नल देवेन्द्र सहरावत को झटका देते हुए विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है. सहरावत का कहना था कि केजरीवाल सरकार के कामकाज का विरोध करने के लिए उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास कार्यवाही चल रही है. अत: शीर्ष अदालत इस इस मामले में दखल दे और उन्हें संरक्षण दे, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील ठुकरा दी.
कोर्ट ने कहा अभी तक आप विधायक बने हुए हो तो स्पीकर के खिलाफ कोर्ट में सवाल उठाना ठीक नहीं, जब आपके खिलाफ कारवाई होगी तब आना. गौरतलब है कि विधायक सहरावत ने आम आदमी पार्टी के विधायक रहते हुए केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे, जिसके बाद पार्टी ने सहरावत को निलंबित कर दिया है. देवेंद्र सहरावत के खिलाफ आम आदमी पार्टी अनुशासनहीनता की करवाई कर रही है, इसलिए सहरावत ने mla का पद बचाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सवाल यह था कि क्या एक विधायक जिसने किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़कर चुनाव लड़कर जीता हो ,लेकिन बाद में पार्टी ने जिसे अनुशासनहीनता के आरोप निकाल दिया हो, वह पार्टी के व्हिप को न मानने पर दलबदल कानून के अन्तर्गत अपने पद पर बना रह सकता है या नहीं? बिजवासन से विधायक रिटायर्ड कर्नल देवेन्द्र सेहरावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर इस बारे में दिल्ली विधानसभा के स्पीकर को निर्देश जारी करने की मांग की है.
सहरावत का कहना है कि जनता ने उन्हें विकास कार्य के लिए चुना था और उनकी सुप्रीम कोर्ट से मांग है कि बिना विधायकी गवांए उन्हें पार्टी सिम्बल देने वाले राजनीतिक दल से अलग किया जाए. गौरतलब है कि अमर सिंह और जया प्रदा ने इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई हुई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है. इस मामले में भी इस पर विचार हो रहा है कि क्या कोई सदस्य जिसे पार्टी से निकला जा चुका है उसे व्हिप न मानने पर दलबदल कानून के अन्तर्गत संसद और विधायक के पद से हटना होगा.
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