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उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए दिल्ली अब दूर की कौड़ी नजर आने लगा है. 2014 के लोक सभा चुनाव में शून्य पर सिमटी बीएसपी का प्रदर्शन विधानसभा चुनावों में भी निराशाजन ही रहा. आलम ये है कि मायावती का राज्य सभा सदस्य बनना तक मुश्किल लग रहा है.

मायावती के अलावा समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के सामने में राजनीतिक संकट के बादल छाए हुए हैं. राजनीति बचाने के लिए अखिलेश के सामने राज्य सभा सदस्य बनने का ही विकल्प बचा है. हालांकि उन्हें इसके लिए 2018 तक का इंतजार करना होगा, अभी अखिलेश यादव विधान परिषद के सदस्य हैं.

यूपी की दो बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं के सामने अपना राजनीतिक भविष्य बचाने की चुनौती है. अगर मायावती की पार्टी बीएसपी, अपनी धुर विरोधी सपा के साथ गठबंधन कर लेती है तो मायावती के राज्यसभा सदस्य बनने का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन ऐसा होगा या नहीं ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

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