कैथल: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा फेतहपुर-पूण्डरी स्थित भीमराव अम्बेडकर बहुतकनिकी कॉलेज परिसर में एक विशेष कानूनी जागरूकता शिविर लगाया गया। प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य दंडाधिकारी श्री सुनील कुमार दीवान ने विद्यार्थियों को घरेलू हिंसा अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम व हरियाणा पीडि़त मुआवजा योजना के तहत पीडि़तों को मुआवजा सहायता योजना की जानकारी दी। विधिक सेवा का मिशन जनता को कानून से संबंधित सामान्य बातों से परिचित करवाकर उनका सशक्तिकरण करना है
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति के द्वारा किसी महिला या लडक़ी के ऊपर तेजाब हमले मामलों में पीडि़त या उसके आश्रितों को सरकार द्वारा मुआवजा सहायता राशि प्रदान की जाती है। इसके साथ ही बच्चों को हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निर्मित कर्तव्य निभाना है व बाल यौन उत्पीडन विषय से सम्बंधित राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म कोमल दिखाई गई, जिसमें अच्छे और बुरे स्पर्श एवं बाल अपराध रोकने के बारे में जागरूक किया गया है। बाल यौन शोषण के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे के साथ यौन शोषण होने की जानकारी होने पर चाईल्ड हैल्पलाईन नं0.1098 या प्राधिकरण की हैल्पलाईन नं0.01746-235759 पर तुरन्त जानकारी दी जा सकती है। हैल्पलाईन पर किसी भी तरह की कानूनी या सामाजिक समस्या के बारे में भी बात कर सकते हैं।
उन्होंने छात्रों को पावर प्वांईट प्रैजेंटेशन के माध्यम से घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यदि किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताडना की जाती है तो वह इस बारे में सुरक्षा अधिकारी को अपनी शिकायत दे सकती हैं। इस अधिनियम के अन्तर्गत महिला के साथ आर्थिक प्रताडना करना यानि किसी महिला को खर्चा न देना या उसकी सैलरी आदि ले लेना या उसकी नौकरी से सम्बंधित कागजात ले लेना भी प्रताडना है। अगर किसी महिला को जबरदस्ती घर से निकाल दिया जाता है तो वह भी इस अधिनियम के तहत अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है।
उन्होंने कहा कि संविधान में गरीबों व समाज के कमजोर वर्गों के लिए निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है। राज्य का उत्तर दायित्व है कि सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करें। कमजोर वर्गों को कानूनी सेवा उपलब्ध करवाने के लिए एक तंत्र की स्थापना करने के लिए वर्ष 1987 में विधिक सेवा अधिनियम पास किया गया, जिसके तहत महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों, औद्योगिक श्रमिकों, आपदा पीडि़तों, दिव्यांगों तथा तीन लाख रुपये से कम सालाना आय से कम वाले व्यक्तियों के लिए मुफत कानूनी सहायता का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर महाविद्यालय का स्टाफ एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।